चलते-चलते यूं ही...कितनी दूर निकल आए...कई चीजें पीछे छूट गई...कुछ चीजें जिसे चाहकर भी भुला नहीं पाए...और कुछ की धुंधली सी तस्वीर ही सही, अब भी जेहन में बसी है...और कुछ...लगता है कि कहीं खो सा गया है...
Saturday, 18 September 2010
एक तलाश
उस एक चेहरे की तलाश में...
कितना भटका हूं मैं...
और वो मिला भी...
लेकिन मैं उसकी आंखों में...
अपना अक्स देख पाता... उसके पहले ही...
उसने अपनी आंखें फेर लीं...
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