Sunday, 19 September 2010

ऐसा क्यों...

शायद वो बारिश की बूंद ही थी...
जिसने मेरे अहसास को फिर से गीला कर दिया...
नहीं तो, तुम्हारी आंखों में पानी कहां बचा है...

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